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यादों में थोड़ा मिल लें

खूबसूरत सांझ
शांत होता हुआ
शहर का कोलाहल
कम होता हुआ
वायु में घुल रहा हलाहल,
चलो थोड़ी देर,
छत पर घूम लें।
आप वहां हम यहाँ,
रूहों की टेलीफोनिक तरंगों से
थोड़ा मिल लें,
अस्त-व्यस्त फटी प्रेम की शिराओं को
नेह के धागों से सिल दें।
तुम वहाँ हम यहाँ
भले ही हों,
लेकिन आओ ना
यादों में थोड़ा मिल लें।

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