यादों में रहेगी
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बेचैन सा रहता हूं,
बन पागल फिरता हूं,
मिल जाए मुझे पुनः,
हर रोज दुआएं करता हूं,
मान दी हमने कई मन्नते,
कभी मस्जिद में भी
चादर चढ़ाया करता हूं,
खुदा खुशनसीब हूं या बदनसीब हूं,
आज आखिरी बार तुझसे,
यह बात पूछने आया हूं,
मिले मुझे तकदीर कहूंगा
ना मिली मुझे
ना फिर किसी से प्यार करूंगा,
मेरी थी मेरी होकर रहेगी,
हो हकीकत ना पर यादों में रहेगी,
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**✍ऋषि कुमार ‘प्रभाकर’—-