छोड़ बाबुल का घर,
जब चली जाती हैं बेटियां
सभी त्यौहार लगते हैं सूने,
बहुत याद आती हैं बेटियां
दिवाली के हर दीप में,
मुस्कुराती हैं बेटियां
होली के हर रंग में,
खिलखिलाती हैं बेटियां
खुशी दमकती है चेहरों पर,
जब मिलने आती हैं बेटियां
ये दर्द और खुशी वो क्या जानें,
जिनके घरों में नहीं होती हैं बेटियां