‘ये चाहता मैं भी हूँ के ठोकरें लगती रहें तेरी,
तुझे मैं याद रख सकूँ, ये आग जलती रहे मेरी..
मेरे सब्र को मेरी बेबसी की इन्तेहाँ मत समझना,
ये तूफाँ का इशारा है जो इस वक्त खामोशी है मेरी..’
– प्रयाग
‘ये चाहता मैं भी हूँ के ठोकरें लगती रहें तेरी,
तुझे मैं याद रख सकूँ, ये आग जलती रहे मेरी..
मेरे सब्र को मेरी बेबसी की इन्तेहाँ मत समझना,
ये तूफाँ का इशारा है जो इस वक्त खामोशी है मेरी..’
– प्रयाग