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ये पूस का महिना कैसे हम भूला देंगे

ये पूस का महिना कैसे हम भूला देंगे?
सुना के कहानी बाल वीरों की सब को हम रुला देंगे।
रात अंधेरी थी घनघोर
नभ में बादल थे पुरजोड़ ।
निकल पड़े परिवार सहित
किला आनन्दपुर छोड़।।
जज्बा एक मलाल नहीं दुश्मन को मौत सुला देंगे।
ये पूस का महिना कैसे हम भूला देंगे?
मुगल सैनिकों से बच बचकर
पहुँचे सरसा नदी किनारे।
परिवार बिछोरा हुआ यहीं पर
दुश्मन आ गए इनके आरे।।
आँखों में आंसू पी गए सोच दुश्मन को आज रुला देंग।
ये पूस का महिना कैसे हम भूला देंगे?
होने लगा युद्ध भयंकर

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