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रक्षक

रक्षक

रक्षक ही भक्षक हो गये है
अपने ही भारत देश में
भ्रष्टाचार फैलाते है
काली चादर ओढ कर
इमानदारी का परिचय देकर
रक्षक ही धोखा देते है
अपने को सच्चा बतलाकर
औरो को लुटते फिरते है
संसार में ये रक्षक बनकर
बेखौफ होकर टहलते है
ईमानदारी का ढोंग रचकर
चौराहे पर घुमते है
दुखी दरिन्दो को उलझन में डालकर
खुद को मशीहा समझते है
देश के ईमानदार को
अपने फन्दे में फासते है
दया धर्म का पाठ पढाकर
भगवान बने फिरते है
अपने ही देश को ये
दीमक बनके चाटते है
खुशी भरी संसार में
अपना आंतक फैलाते है
मिलकर करे विरोध सभी
रक्षक ना बन जाये भक्षक
महेश गुप्ता जौनपुरी
मोबाइल – 9918845864

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