रक्षा का त्योहार है, ये बंधन नहीं है, प्यार है।
मूल्य ना आंको भेंट का, यह प्रेम का उपहार है।
दुरियां- नजदिकीयां, ये भृम का जंजाल है।
भाव बिना हैं तीर्थ क्या, प्रेम हो तो मूरत में भी भगवान हैं।
रक्षा का त्योहार है, ये बंधन नहीं है, प्यार है।
मूल्य ना आंको भेंट का, यह प्रेम का उपहार है।
दुरियां- नजदिकीयां, ये भृम का जंजाल है।
भाव बिना हैं तीर्थ क्या, प्रेम हो तो मूरत में भी भगवान हैं।