रक्षा बंधन Tarun Bhatnagar 4 years ago रक्षा का त्योहार है, ये बंधन नहीं है, प्यार है। मूल्य ना आंको भेंट का, यह प्रेम का उपहार है। दुरियां- नजदिकीयां, ये भृम का जंजाल है। भाव बिना हैं तीर्थ क्या, प्रेम हो तो मूरत में भी भगवान हैं।