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रण में उतर जा

रण में उतर जा
प्रण कर ले,
लड़ते जा तब तक
जब तक तू कीचड़ के ढेर में कमल स न खिले,
मंज़र कैसा भी हो,
ताकत अपनी झोंक दे
हिम्मत को हमेशा आगे रखकर
मुश्किलों को तू दबोच दे
हैरान कर दे दुनिया को
अपने नेक कामों से
छा जा दुनिया में तू
हर इंसान के सम्मानों से,
भूलना मत तू खिला कीचड़ के ढेर में से है
तेरा नाम हमेशा हमेशा बुलंद रहेगा
क्योंकि तेरी इज़्ज़त तेरे प्रेम से है।।

-मनीष

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