रविदास को गुरु बनाकर हम भी मीरा बन जाएं।
द्वेष -कपट सब त्याग कर आज फकीरा बन जाएं।
कोयला जैसा मन लेकर भटक रहा है मारा-मारा
ज्ञान अगर मिल जाए तो संवर जाएगा कल तुम्हारा।
रविदास के संग चलें और हम भी हीरा बन जाएं।
रविदास को गुरु बनाकर हम भी मीरा बन जाएं।।
क्रोध को तुम छोड़कर करम करो प्यारा-प्यारा।
एक दुजे के गले लगो तो जग प्रसन्न होगा सारा।
अंधकार को दुर भगा कर हम उजियारा बन जाएं।
रविदास को गुरू बना कर हम भी मीरा बन जाएं।
परमेश्वर आएंगे द्वार पर कर्म उत्तम हो तुम्हारा।
कठौती में गंगा होगी, निर्मल हो गर मन हमारा।
ज्यादा की चाह छोड़ कर आज कबीरा बन जाएं।
रविदास को गुरु बना कर हम भी मीरा बन जाएं॥
ओमप्रकाश चंदेल “अवसर”
पाटन दुर्ग छत्तीसगढ़ 7693919758