मैं राधा तू कृष्ण बन जा
हर नब्ज में लहू बन के रम जा।
उदास राहों में भी पुष्प बिछा दूँगी मैं !
अगर तू मेरे जैसा थोड़ा-सा भी बन जा।
मैं राधा तू कृष्ण बन जा
हर नब्ज में लहू बन के रम जा।
उदास राहों में भी पुष्प बिछा दूँगी मैं !
अगर तू मेरे जैसा थोड़ा-सा भी बन जा।