………….पिछले का शेषांश……………
है चमत्कार कैसा स्वामी मैं भी तो जानूँ।
राज आपके नाम का मैं भी तो पहचानूँ।।
शक्तिरूप सती नारी से सत्य नहीं छुपा पाया।
रावण नाम लिखते मेरे मन में ख्याल आया।।
रा लिखते राम कहा वण लिखते वन जाए।
विनयचंद इस रामरुप को भला कौन डूबा पाए।।
……… . पं़विनय शास्त्री