सेतु बनाकर सेना संग राम जब लंका।
लंका के गलियों में होने लगी ये शंका।।
जिसके नाम का पत्थर भी
सागर पे गया है तैर।
स्वामी तोसे करु विनती
नहीं बढ़ाओ उनसे बैर।।
चमत्कार तो राम के जैसा मैं भी कर सकता हूँ।
पत्थर क्या पूरा पर्वत पानी पर तैरा सकता हूँ।।
एक छोटा टुकड़ा ही
तैराओ जो पानी में।
मैं भी देखू दम कितना
है लंकापति की वाणी में।।
लो मंदोदरी एक पत्थर पानी में अब छोड़ रहा।
सचमुच तैर गया वह मंदोदरी का कर जोड़ रहा।।
कैसे तैरा
आगे………..