राघव भक्तों के सदियों तक के बलिदान,
संघर्ष और तपस्या का परिणाम
अयोध्या की पावन भूमि का शिलान्यास
और फिर भव्य मन्दिर का निर्माण ।
कितने भक्त मन में निर्माण की आस लिए
कर गये इस अवनी से प्रस्थान
अब जाके उन अतृप्त आत्माओं को
मिला परित्राण ।
नमन है उन वीर व्रतधारियो को सनातन –
निर्माण के कठिन विरासत को संजोये रखा
मन्दिर निर्माण के,कठिन व्रत को,
निर्भिक नेतृत्व से जनगण में जगाये रखा ।
रघुनन्दन है जन-जन के नायक
इनके मूल्य हैं भारत की आत्मा
हे पुरूषोत्तम ! अब तो कर दो इस धरा से
संताप, द्वेष, तृष्णा,घृणा का खात्मा ।
तहेतत अच्युतम ! चरित्र दर्शन,आपका रहे
हमारे समाज की बुनियाद में
भविष्य, वर्तमान की सभी पीढियों की
आस्था हो भगवान रघुनाथ में ।
हर जन, सच्चे मन से- शान्ति ,अहिंसा,
मानवता ,मर्यादा का पालन करे
उनमुक्त भाव से सब राममय हो
परस्पर भातृत्व भाव की हो भावना ।
आनंद का है आया वह क्षण
संकल्प पूरा हुआ
भारत के कण-कण में बसते हैं राम
यह भान इस जग को हुआ ।
सुमन आर्या