राह भूल सी गई है हमको
जो छोड़ आओ, तो बात बने
मंज़िल की सरहद पर दीया
जो छोड़ आओ, तो बात बने
मेरी तेरी या उसकी बातें
जो छोड़ आओ, तो बात बने
ढाई आखर हर देहरी पर
जो छोड़ आओ,तो बात बने
राह भूल सी गई है हमको
जो छोड़ आओ, तो बात बने
मंज़िल की सरहद पर दीया
जो छोड़ आओ, तो बात बने
मेरी तेरी या उसकी बातें
जो छोड़ आओ, तो बात बने
ढाई आखर हर देहरी पर
जो छोड़ आओ,तो बात बने