रिंद देवेश साखरे 'देव' 5 years ago बेक़रारी का आलम है, दीवाने की मानिंद। ना सहरे-सकूँ मिलता, ना आती शबे-नींद। तेरी आँखों से पिया करते थे जामे-शराब, तेरी जुदाई में अब कहीं, हो ना जाऊँ रिंद। देवेश साखरे ‘देव’ रिंद- शराबी