रिश्ते रूह में अब बंधा नहीं करते,
वो हमसे हम उनसे कुछ कहा नहीं करते,
मान लिया है मैंने के बस एक जिस्म हूँ मैं,
और टूटे दिल को हम कभी सिया नहीं करते।।
राही (अंजाना)
रिश्ते रूह में अब बंधा नहीं करते,
वो हमसे हम उनसे कुछ कहा नहीं करते,
मान लिया है मैंने के बस एक जिस्म हूँ मैं,
और टूटे दिल को हम कभी सिया नहीं करते।।
राही (अंजाना)