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लकीरों के बीच तस्वीर

कभीकभी

कागज पर खिंची

लकीरों के बीच भी

कोई तस्वीर

इस कदर से

जिंदा हो जाती है

कि जिसकी होती है

वो तस्वीर

उससे मिले बगैर ही

उससे मिलकर होने वाली बातें

उस तस्वीर से हो जाती है।

 

                                     कुमार बन्टी

 

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