Site icon Saavan

लज्जा

“लज्जा नही आती जब देश के खिलाफ़ बोलते हो,
जिस थाली में खाते हो उसी में छेद करते हो।
इसी देश मे जन्मे यही पले और बड़े हुये,
बोले दुश्मन के जैसे क्यों शब्द तुम्हारे तेज हुये।
इसी धरा पर न जाने कितने देश भक्तों ने जन्म लिया,
जन्मभूमि की खातिर अपने प्राणों का बलिदान दिया।
देशद्रोहियों!रोटी खाते हो यहाँ की
और गुण दुश्मन के गाते हो,
आती न तुमको तनिक लाज अपने कुकर्मो पर इठलाते हो।
अपनी भाषा शैली पर देशद्रोहियों कुछ तो तुम शर्म करो।
रह गयी हो थोड़ी भी लाज तो चुल्ली भर पानी मे डूब मरो।।”

Exit mobile version