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लय

फ्रिज में रखी शब्जी की तरह
धीरे धीरे खराब हो रही है
मेरी लय,
कल कहीं बेसुरा न हो जाऊं
पढ़ ले जल्दी से उन पंक्तियों को
जो मैंने
तेरे लिए लिखी हैं।
—- डॉ0 सतीश पाण्डेय, चम्पावत
उत्तराखंड

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