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लाॅकडाउन में लाॅकजीवन

लाॅकडाउन में लाॅकजीवन ,आखिर कब तक चले।
कोरोना का असर सब पे भारी, हम तुम हाथ मले ।।
सब कुछ चाह कर भी ए दोस्त, कहाँ कुछ कर पाए।
जो भी कुछ था हमारे पास ,अब कोरोना के हो चले।।
थी जुस्तजू दिल को मगर ,कोरोना के गम मिल गए।
मिलि थी खुशी हमे, बे-खौफ रोटी तलाशने परदेश चले।।

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