Site icon Saavan

लेखनी को दूषित करते हैं

बड़ी बात करते हैं लोग
पर बड़ा ह्रदय ना रखते हैं
कुछ अभिलाषा मन में जागे तो
फिर कुबड़ाई करते हैं
लेखनी को दूषित करते हैं
अपनी कुत्सित सोंच से
दूसरे की ना सुनते बस
अपनी ही कहते रहते हैं

Exit mobile version