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वचन दिवस

गुजारिश करते हैं हम आज
तुमसे एक मानोगे?
लुटाओगे मुझ पर जान
मेरी ही बात मानोगे।
नही जाओगे तुम दूर अब
गैरों की बाहों में
सजाओगे नहीं सपनें
तुम अब दूजी फिज़ाओं में ।
इस वचन दिवस पर
इतनी ही इल्तिजा है तुमसे
रहोगे बस मेरे हमदम
रहोगे बस मेरे हमदम।

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