‘वजह हुआ करती है नज़रों के झुक जाने में,
बेबाक आँखों में शर्मिन्दगी का सलीका नही होता..
वो तोड़ सकते हैं मेरे यकीं को किसी भी वक्त मगर,
बेरुखी जताने का ये आखिरी तरीका नही होता..’
– प्रयाग
‘वजह हुआ करती है नज़रों के झुक जाने में,
बेबाक आँखों में शर्मिन्दगी का सलीका नही होता..
वो तोड़ सकते हैं मेरे यकीं को किसी भी वक्त मगर,
बेरुखी जताने का ये आखिरी तरीका नही होता..’
– प्रयाग