जिस वतन का खाना खाते हो,
डाल के अपनी थाली में
आज उसी वतन के हित की खातिर,
उसी वतन की मिट्टी के, दीए जलाना
अबकी बार दिवाली में
चीन की लड़ियां नहीं जलाना,
सरहद पर बैठा, सैनिक जल जाएगा
तड़प कर रो उठेगी वो मां कहीं,
जिसके लाल के खून से, लाल हुई थी जमीं
जिसके लाल की जान छीनी,
सरहद पर जा कर पूछो,
वो था एक बैरी चीनी
*****✍️गीता