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वतन के लिए

खून का हर एक कतरा ,
वतन के नाम कर देंगे।
वतन की मिटटी का ये जिस्म,
वतन पे कुर्बान कर देंगे।
कोशिशे तुम लाख करो गद्धारों,
हर कोशिश को हम नाकाम कर देंगे।
कोई अंगार न छु पाये इस जमीं को,
बस इतना सा काम कर देंगे।
वतन की मिटटी का ये जिस्म,
वतन पे कुर्बान कर देंगे।
बहुत कर्ज है वतन का हम पर,
मरते दम तक इसका इंतेजाम कर देंगे।
सफ़ेद सी शीतल चादर ओढे वो घांटी,
सेवा में उसकी हम जी जान लगा देंगे।
एक कतरा भी न हम देंगे इस मिट्टी का,
क़त्ल तुम्हारा हम सरेआम कर देंगे।
वतन की मिट्टी का ये जिस्म,
वतन पे कुर्बान कर देंगे।
खून का हर एक कतरा हम,
वतन के नाम कर देंगे।
– शिवम् दांगी

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