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वहम

कभी-कभी
आसपास पानी होने का भ्रम
चंद साँसों का इजाफ़ा कर देता है
तड़पकर मरते हुए
किसी प्यासे मुसाफ़िर की ज़िन्दगी में
तुम भी
मेरे जीवन में एक मरीचिका की तरह हो
तुम कहीं नहीं हो मगर
तुम्हारे साथ होंने का वहम काफ़ी है
जीवन की दुष्कर राहें नापने के लिए..!!
©अनु उर्मिल ‘अनुवाद’
(08/04/2021)

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