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वह सरोवर और पारस पत्थर

जाने कहां और
कितनी दूर चली,
चलकर हिमालय की
पर्वत श्रृंखला में पहुंच गई
वहां पड़े पारस पत्थर को उठाया अर्ध निंद्रा में ही थी-
सरोवर में बहते सुंदर
नीले जल पर
कमल की पंखुड़ियों से लिख दिया “वह सिर्फ मेरा है”
तभी फोन की घंटी बजी और आंख खुल गई….

मुझे सब याद था,
वह हिमालय, वह सरोवर और पारस पत्थर।।

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