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विचार

हम तुम पले बढ़े अपने ही देश की छाँव में।
फिर क्यों दरार पड़ी आज अपने ही विचार में।।
अपनी इनसानियत को तो चंद सिक्के में बेच दिए।
ममता को गिरवी रख कर हैवानियत के चोला पहन लिए।।
आज चारो तरफ छल कपट द्वेष भावना दंगे फसाद।
लोभ लालच के जाल में फंस कर हो गए हैं सब बर्बाद।।
अपनी बेटी बहन बहू के लिए लगा दिए घर में किवार।
गैर की बेटी बहन बहू पर कर रहे हैं गंदी विघार।।
कहे अमित गंदी विचार अच्छे विचार पर हावी होता है।
शायद इसलिए आज सुनसान राहों में रावण राम बन कर घूमता है।।

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