जुल्म अब सहा नहीं जाता है
दुख कितना कहा नहीं जाता
घर मे अब रहा नहीं जाता
कुछ करो हे विधाता
सबका दुनिया से बना रहे नाता
हर कोई रहे हँसता मुस्कुराता
जुल्म अब सहा नहीं जाता है
दुख कितना कहा नहीं जाता
घर मे अब रहा नहीं जाता
कुछ करो हे विधाता
सबका दुनिया से बना रहे नाता
हर कोई रहे हँसता मुस्कुराता