वीरों का दिल से अभिनन्दन।
सीमा पर डटकर खड़े हुए,
दो-नयन शत्रु पर गड़े हुए,
हाथों में अस्त्र सुशोभित है,
उर से भय आज तिरोहित है।
जन-गण-मन करते हैं वन्दन,
वीरों का दिल से अभिनन्दन।
उत्साह हृदय में भरा हुआ,
पग अंगारों पर धरा हुआ,
अरि के हिम्मत को तोड़ चले,
तूफा की गति को मोड़ चले।
झुकता धरती पर आज गगन,
वीरों का दिल से अभिनन्दन।
करते भारत की रखवाली,
हत, जिसने बुरी नजर डाली,
बन जाते पल में महाकाल,
तन-मन इनका भारत विशाल।
जिनकी रक्षा में रघुनंदन,
वीरों का दिल से अभिनन्दन।
जग स्वप्न संजोये सोता है,
सीमा पर क्या – क्या होता है,
छलनी होती इनकी छाती,
धारा लहू की बहती जाती।
बढ़ते रिपु का करते भंजन,
वीरों का दिल से अभिनन्दन।
(देश के वीर सैनिकों को समर्पित।)
अनिल मिश्र प्रहरी।