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वो कागज़ की कश्ती वो लहरों की हस्ती

वो कागज़ की कश्ती वो लहरों की हस्ती,

वो छोटी सी बस्ती में हम बच्चों की मस्ती,

वो कहाँ खो गई है मैं ये सोंचता हूँ,
वो कहाँ सो गई है मैं ये सोंचता हूँ,

वो जो दिखती थी आँखों से हंसती सी बच्ची,

वो रखती थी बांधे जो रिश्तों की रस्सी।।
राही (अंजाना)

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