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वो क्या जाने

रुह जिसकी बिक चुकी है,
दिल के जज्बात वो क्या जाने।

इंसानियत भी जो बेच चुका,
गम की बात वो क्या जाने।

खुशियों का लुटेरा है जो,
खुशियों की सौगात वो क्या जाने।

दूसरों के फूंक, घर अपना रौशन करें,
घनघोर स्याह रात वो क्या जाने।

मुंह से निवाला, छीनने वाला,
भूख के हालात वो क्या जाने।

अस्मत जिनके बिस्तर पे दम तोड़ती,
संजोए सपनों की बारात वो क्या जाने।

दौलत ही जिनका खुदा हो ‘देव’,
खुदा से मुलाकात वो क्या जाने।

देवेश साखरे ‘देव’

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