वो खिलौने वाली
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एक पैर से लाचार
वो स्वाभिमानी लड़की,
याद है मुझे आज भी
कल ही की बात सी।
चेहरा नहीं भूलता उसका
तीखी खूबसरत सी नाक थी।
रूखे सूखे से बाल
तन से वो फटे हाल थी।
चेहरे पर उसके जीने की चमक ,
कांधे पे झिंगोला लिए लाठी के साथ थी।
हां वो खूबसूरत लड़की
बड़ी बेमिसाल थी।
गाड़ीयों के बीच में
सड़कों पर दौड़ती,
एक लाठी के सहारे,
खिलौने वो बेचती।
गर्मी की ना तपन थी
सर्दी की ना सिहरन थी।
मौसम से बेअसर थी
वो लड़की चट्टान थी।
दुर्भाग्य से ना डरी थी परिस्थितियों से लड़ी थी।
चींटी के समान अपने कर्म कों प्रयासरत थी।
हट्टे- कट्टे लोग देखे होंगे
भीख मांगते
ऐसे सभी कायरों के लिए वो एक मिसाल थी।
हार नहीं मंजूर उसे
जीत उसके साथ थी
वो स्वाभिमानी लड़की वाकई
कमाल थी।
निमिषा सिंघल