कुल्हाड़ी ले के हाथ में वो काटने चली है
मिलजुल के रह रहे थे वो काटने चले है
हर हाल में उन्हे कुर्सी को बचाना है
आतंकियों के तलवे वो चाटने चले हैं
कुल्हाड़ी ले के हाथ में वो काटने चली है
मिलजुल के रह रहे थे वो काटने चले है
हर हाल में उन्हे कुर्सी को बचाना है
आतंकियों के तलवे वो चाटने चले हैं