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वो जो तेरी यादों का समंदर कभी सूखता ही नहीं

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वो जो तेरी यादों का समंदर कभी सूखता ही नहीं ।
लाख भुलाना भी चाहा मगर दिल भूलता ही नहीं।

हैं बरसता हुआ गम की घटा जो सावन ले आया,
जुदा ए सनम तुम बिन, दिल कही लगता ही नहीं ।

लाख बोई है फसलें आरजू दिल की जमीं पर,
वीरां ए दिल में बहार ए खुशियां फलता ही नहीं ।

जिंदगी हर पहलू से गुजार देखा जो मैं अपनी,
प्यार तुमने जो दिया वो कहीं मिलता ही नहीं ।

कहाँ ढूंढूं तुमसा मै, और प्यार तेरा सा जहां मे,
तू तो लाखों में है, तुम सा कोई मिलता ही नहीं ।

पहली मुहोब्बत का दर्द दिया है योगेंद्र तुमने,
अश्क आंखों में भरी,दर्द दिली मिटता ही नही।

=============== योगेन्द्र कुमार निषाद
घरघोड़ा,छ०ग०

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