तस्वीर में नाचती थी वो,
रात को घुंघरू बजते थे
गीली मिलती थी दीवार सदा,
उसके आंसू उसे भिगोते थे
चूल्हे पे बनाती रोटी मां,
उसकी, ये तस्वीर बना देता
सोचती रहती थी वो,
उस चित्रकार का क्या जाता..
*****✍️गीता
तस्वीर में नाचती थी वो,
रात को घुंघरू बजते थे
गीली मिलती थी दीवार सदा,
उसके आंसू उसे भिगोते थे
चूल्हे पे बनाती रोटी मां,
उसकी, ये तस्वीर बना देता
सोचती रहती थी वो,
उस चित्रकार का क्या जाता..
*****✍️गीता