Site icon Saavan

वो रोती रही

वो रोती रही रात भर इसलिये
कि सरहद से आई खबर इसलिए।

बड़े नाज से उसने पाला जिसे
वो आया तिरंगे में घर इसलिए।

सुहागन लगी चूड़ियाँ तोडने
चलेगी अकेली डगर इसलिए।

कोई तो मिलेगा उसे रहनुमा
चली आस की राह पर इसलिए।

हुई हाल खस्ता बहुत जिंदगी
बदलते हैं रिश्ते सफर इसलिए।
…….. सतीश मैथिल “तनुज”

Exit mobile version