वो रोती रही रात भर इसलिये
कि सरहद से आई खबर इसलिए।
बड़े नाज से उसने पाला जिसे
वो आया तिरंगे में घर इसलिए।
सुहागन लगी चूड़ियाँ तोडने
चलेगी अकेली डगर इसलिए।
कोई तो मिलेगा उसे रहनुमा
चली आस की राह पर इसलिए।
हुई हाल खस्ता बहुत जिंदगी
बदलते हैं रिश्ते सफर इसलिए।
…….. सतीश मैथिल “तनुज”