एक सुबह
असामान्य सी
हाँ,
क्योंकि उस दिन मैं
जल्द जग गया था,
मैंने देखा था
गुलाब के पत्तों पर
शबनमी बूंदों को
बेहद आकर्षक,
अत्यन्त शीतल,
काफी खूबसूरत थीं
वो बूंदे,
जिन्होंने,
एक असामान्य सुबह को
असाधारण बना दिया,
मैंने चाहा
उन्हें अपनी हथेली पर ले लूँ,
और लिया भी
लेकिन,अब ना तो उनमें
वो शीतलता रही
और ना ही,
वो खूबसूरत ही लगती हैं…..
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