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शब्द

हर शब्द हर वक्त तुझे झूठा ही लगेगा यहाँ,
जो तूने प्रेम का ढाई अक्षर गर पढ़ा ही नहीं,

जो कहता हूँ सच है ऐ मेरे दिल सुन तो ज़रा,
ख्वाब दिलों के बाहिर तूने कभी गढ़ा ही नहीं।।

राही अंजाना

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