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शहर वाले हो गए

गाँव की गलियाँ और गाँव का
सवेरा
झिलमिल सितारे और कलियों का सेहरा
बीतने लगीं अब तो शामे भी लम्बी
बाजरे की रोटी और भिंडी
अब तो जैसे जमाने हो गए !
अब हमें भी लगता है
कि हम शहर वाले हो गए।

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