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शहीदों के नाम

यह इतना धैर्य तुम कहाँ से लाएं
तभी तो तुम शहीद् कहलाए
शस्त्र तुम्हारे हाथ में था
देश के मान के लिए अडे रहे
अपने बाहुबल से ही शत्रु मार गिराए
तभी तो तुम शहीद् कहलाए
घर तुम्हारा भी था
परिवार बैठा था आँखे बिछाऐ
तुमने देश वासी हीं रिश्तेदार बनाऐ
तभी तो तुम शहीद् कहलाए
सपने तुम्हारे भी थे
पूरा करने का इंतजार लिए
देश के लिए बलिवेदी पर चढाऐ
तभी तो तुम शहीद् कहलाए
यह इतना धैर्य तुम कहाँ से लाएं
तभी तो तुम शहीद् कहलाए।

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