Site icon Saavan

शायद

मैं उससे प्यार करता हूँ,
पर इजहार से डरता हूँ।
कभी-कभी मैं सोचता हूँ,
मुझसे भी प्यार वो करती होगी शायद।

दौड़कर खिड़की पर आना,
मुझे देख प्यार से मुस्कुराना।
कभी-कभी मैं सोचता हूँ,
मेरे इंतजार में राह वो तकती होगी शायद।

वो मेरी बातें सोचती होगी,
रात आँखों में काटती होगी।
कभी-कभी मैं सोचता हूँ,
इकरारे-मोहब्बत से वो डरती होगी शायद।

देवेश साखरे ‘देव’

Exit mobile version