Site icon Saavan

शायरी

खुद से दूर क्यूँ तुम हो , बड़े मगरूर क्यूँ तुम हो

जो तेरा है नहीं उसके ,  नशे में चूर क्यूँ तुम हो

तेरी मायूसी दिखती है , घनी रातों के साये में

यूँ ही तकिये भिगोने पे , बड़े मजबूर क्यूँ तुम हो ।

@पंकज गर्ग


 

 

Exit mobile version