खुद से दूर क्यूँ तुम हो , बड़े मगरूर क्यूँ तुम हो
जो तेरा है नहीं उसके , नशे में चूर क्यूँ तुम हो
तेरी मायूसी दिखती है , घनी रातों के साये में
यूँ ही तकिये भिगोने पे , बड़े मजबूर क्यूँ तुम हो ।
@पंकज गर्ग
खुद से दूर क्यूँ तुम हो , बड़े मगरूर क्यूँ तुम हो
जो तेरा है नहीं उसके , नशे में चूर क्यूँ तुम हो
तेरी मायूसी दिखती है , घनी रातों के साये में
यूँ ही तकिये भिगोने पे , बड़े मजबूर क्यूँ तुम हो ।
@पंकज गर्ग