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शीर्षक – यादों का पिटारा….!!

लम्हे बचें जो जिंदगी के वो खुल के काट लें,
जो बाकी रह जाए पिटारे में उसे आपस में बांट लें,

वो नीले समंदर के किनारे,
पिघले मोती से अंगारे,
चल ख्वाहिशों की मुट्ठी में बांध लें,

वो रंगीन लम्हे जिंदादिल के सारे,
खुशी की चादर ओढ़े पलकों की बाहों में थाम ले,

धूप छांव के खेल निराले,
कुछ अपनी किस्मत के छाले,
अपनी प्रेम की वर्षा कर जिंदगी को जिंदगी का नाम दें,

लम्हे बचें जो जिंदगी के वो खुल के काट लें,
जो बाकी रह जाए पिटारे में उसे आपस में बांट लें…!!!

– राज बैरवा’मुसाफिर’

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