Site icon Saavan

संकटमोचन

दुनिया में छाया कैसा मंजर है
धरा सूनी सूनी लागे खोया-सा अंबर है
कोविड 19 से हर तरफ मचा हहाकार है
बस एक संजीवनी बूटी की फिर से दरकार है ।।
कहाँ छिपे हो संकट मोचन,संकट मानवता पे आई है इस अप्रत्याशित बीमारी ने,कितनों की दीप बुझाई है
वैद्य सुषेण की फिर से,आन पङी दरकार है
बस एक संजीवनी बूटी—–
विकसित अविकसित का इसने,फर्क मिटाया है
देख दवाई की खातिर, एक गर्वित ने हाथ फैलाया है
जी करता है, कह दा उसे, इन्कार है
बस एक संजीवनी बूटी——-
वसुधैव कुटुंबकम् की नीति का,
पालन करके दिखलाया है
अकङी,घमंडी को भी हमने नहीं कभी लौटाया है
दधीची शीवी की परम्परा को रखा बरकरार है
बस एक संजीवनी बूटी——-

Exit mobile version