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संस्कारों के बीज

संस्कारों के बीज यहाँ पर अक्सर बोये जाते हैं,

सम्बंधों के वृक्षों पर नये पुष्प संजोये जाते हैं,

मात-पिता, दादा-दादी और भाई बहन के नातों से,

हर एक क्षण में खुशियों के कई रंग पिरोये जाते हैं,

आन पड़े जब मुश्किल सिर तब रश्ते परखे जाते हैं,

लोग रहें मिल-जुल कर जिस घर परिवार बताये जाते हैं।।

– राही (अंजाना)

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