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सच्चाई

मुंह में राम बगल में छुरा लिए आते हो
अपनी गंदी राजनीति से सबको लड़वाते हो
क्या फर्क पड़ता है कि तुम हिंदू हो या मुसलमान
अपने उन्ही मेले हाथों से
शांति के कबूतर उड़ाते हो
अल्लाह के बंदे, भगवान की रचना है हम
क्यों अयोध्या को आधा-आधा कटवाते हो
अगर सच्चे इंसान हैं हम तो
फिर क्यों तुम घबराते हो
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है
कि तुम नमाज पढ़ते हो या फिर दिए जलाते हो.

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