सच की दीवारों पर झूठ की तस्वीरें दिखाई गईं,
जब भी सर उठाया तो बस शमशीरें दिखाई गई,
बैठा ही रहा मैं भी शहंशाहों सा चौकड़ी लगाकर,
एक के बाद एक मुझे सबकी तकदीरें दिखाई गईं।।
राही अंजाना
सच की दीवारों पर झूठ की तस्वीरें दिखाई गईं,
जब भी सर उठाया तो बस शमशीरें दिखाई गई,
बैठा ही रहा मैं भी शहंशाहों सा चौकड़ी लगाकर,
एक के बाद एक मुझे सबकी तकदीरें दिखाई गईं।।
राही अंजाना