सत्ता के मद में हो गए चूर चूर हैं
जनता से आजकल वो दूर दूर हैं
भर लो उड़ान कितनी ऊँची आकाश में
आना पड़ा धरा में जितने भी शूर हैं
सत्ता के मद में हो गए चूर चूर हैं
जनता से आजकल वो दूर दूर हैं
भर लो उड़ान कितनी ऊँची आकाश में
आना पड़ा धरा में जितने भी शूर हैं